मामला केवल गैस प्रयोग करने के आदेशों पर रोलिंग मिलों के बंद होने का
एक तरफ एन.जी.टी. केस में कूदी आइसरा तो दूसरी ओर बोर्ड ने रखी गैस कंपनियों से बैठक
मंडी गोबिंदगढ़ / खन्ना : नैशनल ग्रीन टिब्यूनल (एन. जी.टी.) के आदेशों पर पंजाब बंद कर जब केवल प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने रोलिंग मिलों में मौजूदा प्रयोग किया जा रहा इंधन कोयला और फर्नेस नेचुरल गैस प्रयोग करने के आदेश जारी किए तो उत्तर भारत के सबसे बड़े औद्योगिक शहर मंडी गोबिंदगढ़ व खन्ना की रोलिंग मिलों ने अपने- अपने उद्योग बंद करने के लिए फैसले का संज्ञान लेते हुए इन उद्योगों को बचाने के लिए देश की सबसे बड़ी रोलिंग मिल एसोसिएशन ऑल इंडिया स्टील री रोलर्ज एसोसिएशन (आइसरा) ने मोर्चा संभाल लिया है।
शुक्रवार को इस केस में एन.जी.टी. में प्रदूषण बोर्ड से अब तक इस केस में की गई कार्रवाई पर रिपोर्ट मांगनी थी लेकिन सुनवाई शुरू होते ही आइसरा ने इस केस पर कोई आदेश देने से पहले उनकी भी सुनवाई करने की अर्जी लगा दी।
आइसरा के प्रधान जो खुद अपने वकील के साथ इस केस में पेश हुए थे, ने बताया कि माननीय एन.जी.टी. ने इस केस में उनकी विनती पर सहमति प्रकट करते हुए अपने सदस्यों की लिस्ट जमा कराने के आदेश जारी कर इस केस में अगली तारीख 15 दिसम्बर फिक्स कर दी है।
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– बोर्ड के अफसरों व गैस कंपनियों की बैठक 11 को खन्ना में आइसरा सही कीमत तय होने पर करेगी 3 साल का करार
मंडी गोबिंदगढ़ की रोलिंग मिलें अगर बंद होती हैं तो इसका असर पूरे देश के लोहा उद्योग पर पड़ेगा जिसे ध्यान में रखते हुए आइसरा उद्योग को बचाने के लिए युद्ध स्तर पर आगे आ गई है। सम्पर्क करने पर आइसरा के प्रधान विनोद वशिष्ट ने बताया कि उन्होंने एक बैठक प्रदूषण बोर्ड के चीफ इंजीनियर हरबीर सिंह व एस.ई. लवनीत दूबे से पटियाला में कर उन्हें अवगत करवाया कि रोलिंग मिलें गैस प्रयोग करने के लिए तैयार हैं, बशर्ते गैस की कीमत उनकी वितीय समर्था के अनुकूल हो। उन्होंने बताया कि गैस सप्लाई करने वाली कंपनियों का एकाधिकार होने पर कंपनियां मनमाने ढंग से गैस के रेट बढ़ा रही हैं जिससे वह देश के अन्य भाग जहां गैस पाइपलाइन नहीं डाली गई हैं, उनसे कम्पीटिशन नहीं कर सकते।
रोलिंग मिलों की इस मुश्किल को गंभीरता से लेते हुए बोर्ड अफसरों द्वारा खन्ना व मंडी गोबिंदगढ़ की दोनों गैस कंपनियों के प्रतिनिधियों की एक बैठक खन्ना में 11 दिसम्बर को तय कर दी गई है। विनोद वशिष्ट ने बताया कि अगर गैस कंपनियां गैस की कीमतें अगले 3 साल के लिए 30 रुपए प्रति यूनिट कर देती हैं तो सभी मिलें कोयला, फर्नेस आयल बंद कर गैस प्रयोग करने के लिए कंपनियों के साथ 3 साल का करार कर लेंगी।