CHANDIGARH

मानुष जन्म सर्वोत्तम योनि – निरंकारी सत्गुरू

चण्डीगढ़, रूप नरेश: सभी योनियों में से मानुष जन्म को सर्वोत्तम इसलिए कहा गया है क्योंकि केवल इसी जन्म में ही इन्सान की आत्मा जो जन्मों-जन्मों से भटक रही थी ब्रहमज्ञान की प्राप्ति से परमात्मा की जानकारी हासिल कर सकती है और वास्तव में मानुष जन्म का उद्देश्य भी यही है क्योंकि इन्सान की आत्मा परमात्मा का अंश है और इसका मुख्य उद्देश्य परमात्मा की जानकारी प्राप्त करके परमात्मा जैसा बनना है, ये उद्गार आज यहां सैक्टर 34 के विशाल मेला ग्राउण्ड में हुए निरंकारी सन्त समागम के अवसर पर सत्गुरू माता सुदीक्षा जी महाराज ने हज़ारों की संख्या में उपस्थित श्रद्धालुओं को सम्बोधित करते हुए व्यक्त किए । 

परमात्मा के प्रति मनों में उत्पन्न होने वाले भ्रमों की चर्चा करते हुए सत्गुरू माता सुदीक्षा जी ने कहा कि परमात्मा की जानकारी से पूर्व इन्सान के मनों में जो ख्याल आते हैं कि परमात्मा कहां है, यह किस दिशा में है, कोई इसे आसमान में बताता है कोई इसे शरीर के किसी विशेष हिस्से में बताता है लेकिन ब्रहमज्ञान प्राप्ति के बाद इन्सान को कण-कण में परमात्मा का एहसास होने लगता है और उसके मनों में उत्पन्न होने वाले सभी भ्रम दूर हो जाते हैं । 

सत्गुरू माता सुदीक्षा जी ने जीवन में आने वाली उतराईयों चढ़ाईयों की चर्चा करते हुए कहा कि संसार में रहते हुए सभी इन्सानों के जीवन में सुख -दुख आते हैं किसी को तन का दुख, किसी को मानसिक चिन्ता का दुख और किसी को आर्थिक तंगी का दुख । जो परमात्मा से दूर होते हैं वो ऐसी घड़ी में परमात्मा को ही कोसने लग जाते हैं कि मेरे जीवन में यह दुख क्यों आया, लेकिन परमात्मा को जानने वाले भक्त हमेशा शुक्राना भाव में रहते हैं और ऐसे समय में वे यह सोचते हैं कि यह दुख जो आया है इसमें मेरी ही कोई भलाई होगी, मुझे कोई शिक्षा देने के लिए ही यह दुख मुझ पर आया है । 

परमात्मा की जानकारी हो जाने के बाद इन्सान के जीवन में आने वाले बदलाव की चर्चा करते हुए सत्गुरू माता सुदीक्षा जी ने कहा कि इन्सान के मन में अपने पराए या जात पात का भाव समाप्त हो जाता है, फिर किसी के प्रति दिलों में दूरियां नहीं रहती, उनका हृदय विशाल हो जाता है, वे छोटी छोटी बातों अर्थात खान-पान जात-पात वेश-भूषा आदि में अपने आपको उलझाते नहीं, उनमें प्यार करूणा दया सहनशाीलता आदि दिव्य गुण प्रवेश करने लग जाते हैं, वे आग में घी डालने की बजाए पानी डालने का काम करते हैं ।

इससे पूर्व यहां के ज़ोनल इन्चार्ज श्री ओ पी निरंकारी ने चण्डीगढ़ की सर्वत्र साधसंगत की ओर से सत्गुरू माता सुदीक्षा जी महाराज व निरंकारी राजपिता जी का यहां उपस्थित होने पर उनका स्वागत व धन्यवाद किया । इसके अतिरिक्त इस कार्यक्रम को सफल बनाने में चण्डीगढ़ प्रशासन, नगरपालिका, पुलिस प्रशासन के अतिरिक्त सभी स्थानीय संयोजकों, मुखियों व सेवादल अधिकारियों व सदस्यों का धन्यवाद किया । 

अन्त में सभी गुरु का लंगर ग्रहण कर अपने अपने निश्चित स्थानों को लौट गए और सभी के चेहरों पर भक्ति भाव झलक रहा था ।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *